स्वतंत्रता
यदि स्वतंत्रता है तुम्हारी चुप
क्योंकि मुझे अभिव्यक्ति चाहिए,
और तुम्हारी कैद
ताकि हम निर्भय रहे
तुम्हारे कृत्यों अकृत्यों से।
यदि स्वतंत्रता है
कल को सँवारने में आज को
चुका देना
और सब राह बंद कर देना
ताकि एक सुरक्षित दूरी पर
बने रहें पर्दे के मूक दर्शक।
यदि स्वतंत्रता है
शांति की नींद क्योंकि सब की जुबां
सी दी गयी हैं।
यदि स्वतंत्रता है
अपने मन के स्वाद पाना
और छिलको से भर देना वह अखबार
जिसके अंतर में थीं
भुखमरी की तसवीरें
यदि स्वतन्त्रता है अंजान रहना
अपने मुक्ति कारक से
और अपनी स्वतन्त्रता और अपनी बन्दिशों से
यदि स्वतन्त्रता है
प्रतीक्षा मेरे अपने भय से मुक्ति की
उस भय से जिसे मैंने अपनाया है
यदि स्वतन्त्रता
चिन कर मेरे विचार
तिरती है मेरे भीतर-बाहर
पर तुम उसे पा न सको
यदि स्वतन्त्रता ढाँप लेती है मुझे
तुम्हारे उन विचारों से
जो अलग हैं,
और मेरे लिए प्राकृतिक है
किन्तु तुम उसे समझ न सको
तो तुम्हारी शह पर है मेरी मात।
तो स्वतन्त्रता हल्की और बेमानी है।
पर क्या मुझे मिलेगी जरा सी स्वतन्त्रता कि
मैं अपनी भरे कोश से..
रीत दूँ,
थोडी़ सी…. स्वतंत्रता!
निश्चय ही तुम्हारी सहमति से
कुछ पल को या और भी
ताकि तुम्हें मिले मुक्ति
मेरी दमघोंटू स्वतंत्रता से।
Marion Bloem
Hindi translation by Bhawna Saxena
From English translation “Freedom” by Angela E. Roe